कठोर जल का निवारण या शुद्धीकरण

बॉयलर में प्रयुक्त होने वाले जल पर संक्षिप्त टिप्पणी


       बहुत से कारखानों में जल की भाप बनाने के लिए बॉयलरो का प्रयोग होता है। यदि जल में किसी प्रकार की अशुद्धियां विशेषकर कैल्शियम हुआ मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेट, सल्फेट , वह क्लोराइड सिलिका एल्युमीनियम आदि उपस्थित होती है तो यह बॉयलर के लिए हानिकारक होती है ऐसे जल के प्रयोग से बॉयलर में निम्नलिखित हानिकारक  परिणाम हो सकते हैं-

  • पपड़ी का बनना (formation of scale)

बॉयलरो के अंदर जब जल वाष्प बनकर उड़ता है तो उसमें उपस्थित  पदार्थ बॉयलरो की दीवारों पर जम जाते हैं तथा इससे कुछ समय में मोटी पपड़ी बन जाती है इसको बॉयलर पपड़ी कहते हैं। बॉयलर में कठोर जल में उपस्थित लवण निम्नलिखित प्रकार से क्रिया करके बॉयलर पपड़ी बनाते हैं।
Ca(HCO3)2  ------- CaCO3 +CO2

                                  SCALE

पपड़ी बनने से निम्नलिखित हानि होते हैं-
  1. पपड़ी ऊष्मा की कुचालक होती है अतः जल को वाष्पीकरण करने की क्षमता को कम कर देती है।
  2. कभी-कभी अस्थाई कठोर जल से प्राप्त पपड़ी नलिकाओं तथा वाल्वो आदि में जम जाती हैं।
  3. पपड़ी के अचानक फट जाने से जल का संपर्क लाल लाल तप्त सतह से हो जाता है जिससे उस समय ज्यादा मात्रा में भाप बनने लगती है जिससे विस्फोटक होने का भय रहता है बॉयलर में पपड़ी का बनना निम्नलिखित तरीकों से रोका जा सकता है बॉयलर में मधु जल का प्रयोग करना चाहिए तथा जल से अशुद्धियों को निकाल देना चाहिए जल को बॉयलर में जल्दी-जल्दी बदलते रहना चाहिए।

  • अपक्रमण तथा फैनन (PRIMING AND FOAMING) 
  1. बॉयलर के अंदर जल के अचानक उबलने को अपक्रमण। कहते हैं यह  घटना जल में उपस्थित है तेली पदार्थो, कार्बनिक पदार्थो क्षारो तथा  निलंबित अशुद्धियों के कारण होती है जब कठोर या अशुद्ध जल को बायलर में उबाला जाता है तो अचानक झाग या फेन  तेजी से बनना शुरू हो जाता है इस घटना को फेनन कहते हैं। झाग का बनना जल की कठोरता तथा घुली हुई अशुद्धियों के कारण होता है। अपक्रमण से  निम्नलिखित हानियां होती है--
बॉयलर में जलते तेल का सही अनुमान नहीं हो पाता है।

भाप का दाब  कम हो जाता है जिससे ऊष्मा का अपव्यय होता है।
जल के कारणों से मिश्रित भाग मशीन के भागो में चली जाती है इससे मशीन के पुर्जो की हानि का भय  रहता है।
अपक्रमण व फेनन की रोकथाम निम्नलिखित उपायों द्वारा की जाती है


जल में चूना कैस्टर ऑयल , मैलिक अम्ल, टैनिक अम्ल आदि मिला देना चाहिए।
बॉयलर में उत्पन्न ना चिपकने वाले पदार्थों , जिन्हें स्लज कहते हैं, को निकालते रहना चाहिए।
प्रारंभ में ही जल को अशुद्धियों को रहित करना चाहिए
  • संक्षारण(corrosion) -जल में उपस्थित पदार्थ जैसे magnesium chloride MgCl2 आदि जल की अभिक्रिया के कारण एसिड पैदा करते हैं--
  • MgCl2 + H2O --- Mg(OH)CL +HCL
जिसके कारण बॉयलर की सरफेस निरंतर नष्ट होती रहती है तथा बॉयलर की आयु घटती रहती है अतः बॉयलर अम्लोत्पादक  पदार्थों में रहित होना चाहिए। जहां जल को स्वच्छ करने के साधन नहीं मिलते, वहां जल में सोडियम कार्बोनेट मिला देना चाहिए जिससे उपस्थित अम्ल नष्ट हो जाते हैं ।

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