कठोर जल का निवारण या शुद्धीकरण
बॉयलर में प्रयुक्त होने वाले जल पर संक्षिप्त टिप्पणी बहुत से कारखानों में जल की भाप बनाने के लिए बॉयलरो का प्रयोग होता है। यदि जल में किसी प्रकार की अशुद्धियां विशेषकर कैल्शियम हुआ मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेट, सल्फेट , वह क्लोराइड सिलिका एल्युमीनियम आदि उपस्थित होती है तो यह बॉयलर के लिए हानिकारक होती है ऐसे जल के प्रयोग से बॉयलर में निम्नलिखित हानिकारक परिणाम हो सकते हैं- पपड़ी का बनना (formation of scale) बॉयलरो के अंदर जब जल वाष्प बनकर उड़ता है तो उसमें उपस्थित पदार्थ बॉयलरो की दीवारों पर जम जाते हैं तथा इससे कुछ समय में मोटी पपड़ी बन जाती है इसको बॉयलर पपड़ी कहते हैं। बॉयलर में कठोर जल में उपस्थित लवण निम्नलिखित प्रकार से क्रिया करके बॉयलर पपड़ी बनाते हैं। Ca(HCO3)2 ------- CaCO3 +CO2 SCALE पपड़ी बनने से निम्नलिखित हानि होते हैं- पपड़ी ऊष्मा की कुचालक होती है अतः जल को वाष्पीकरण करने की क्षमता को कम कर देती है। कभी-कभी अस्थाई कठोर जल से प्राप्त पपड़ी नलिकाओं तथा वाल्वो आदि में जम जाती हैं। पपड़ी के अचानक